प्लास्टिक के कचरे से बनाई जा सकती हैं बेहतर सड़कें


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक देश में प्रतिदिन 15,342 टन और साल भर में 56 लाख टन प्लास्टिक का कचरा पैदा हो जाता है। जाहिर है, प्रति दिन 15,342 टन कचरे में से 9,205 टन प्लास्टिक का कचरा ...
नागरिकों में यदि अच्छी रोड सेंस न हो तो फिर सुरक्षा कैसी?


भारत में यातायात की बेहद खराब स्थिति को देखकर लगता है कि यहां अच्छी रोड़-सेंस ही नहीं बल्कि सामान्य नागरिक बोध का भी अभाव है। यहां के अधिकांश लोगों में सड़क पर उनके साथ-साथ चलने वाले अन्य लोगों, ...
यातायात नियम अपनाएं, मानव जिंदगी बचाएं


ड्राइवरों के लिए सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों एवं विभिन्न प्रकार के मौसमों के दृष्टिगत भी अनेक तरह के दिशा-निर्देश लागू किए हैं, जिनका पालन करने से सुरक्षित यातायात संभव हो सकता है। उदाहरण के लिए, गलत साईड से ...
भविष्य के हाईवे होंगे स्मार्ट हाईवे


दुनिया की सबसे पुरानी पक्की सड़क मिस्र में 2600 ईसा पूर्व में बिछाई गई थी जबकि पत्थरों से निर्मित सड़कें तो मध्य-पूर्व के 'उर' शहर में मिली हैं जिनके विषय में कहा जाता है कि उन सड़कों को 4000 ईसा पूर्व में बनाया गया ...
क्या 'राहगिरी दिवस' या 'इक्वल स्ट्रीट्स' से बदल सकता भारतीय शहरों का चेहरा?


सप्ताह के एक दिन किसी भी शहर को उसके निवासियों की पहुंच योग्य बनाने और उन्हें साइकिल चलाने, पैदल चलने तथा शहर की सार्वजनिक परिवहन सेवा का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने ...
स्वास्थ्य तथा पर्यावरण में उपयोगी है शान की सवारी साईकिल की सवारी


पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए साइकिल एक अच्छा वाहन होने के साथ-साथ एक सस्ता विकल्प भी है। छोटे-छोटे घरेलू कामों को पूरा करने के लिए जब मनुष्य को थोड़ी बहुत दूर जाना हो या आस-पास ही ...

WELCOME TO ROAD SENSE TODAY

Traffic accidents are a major problem in both developed and developing countries in the world. Ninety-one percent of the world’s fatalities on the roads occur in low-income and middle-income countries, even though these countries have approximately half of the world’s vehicles. Half of those dying on the world’s roads are ‘vulnerable road users’: pedestrians, cyclists, and motorcyclists. In India, the motor vehicle population is growing at a faster rate than the economic and population growth. The surge in motorization coupled with expansion of the road network has brought with it the challenge of addressing adverse factors such as the increase in road accidents. According to the World Health Organization (WHO), road traffic injuries are the sixth leading cause of death in India with a greater share of hospitalization, deaths, disabilities and socio-economic losses in the young and middle-aged population. Road traffic injuries also place a huge burden on the health sector in terms of pre-hospital and acute care and rehabilitation. India faces the highest number of accidents and accidental fatalities in the world. India has been witnessing one road accident in every minute since the last ten years. The mishaps have been claiming one life in every 3.7 minutes– one of the highest automobile fatalities in the world. According to the Union Ministry of Road Transport and Highways, during 2012, a total of 4, 90, 383 road accidents were reported by all States and Union Territories. In all road accidents, 1, 42, 485 persons were killed, i.e. an average of one fatality per 3.5 accidents. In majority of the cases (77%), drivers are at fault. Rural areas accounted for more road accidents as compared to urban areas. There is a concern as the report reveals that there are a growing number of young road accident victims. Almost 51% of the road accident victims are between economically productive 25-65 age group in India. According to a research done by the World Health Organization representative in India in 2012, India loses approximately $20bn annually to road accidents.
‘Road-Sense Today’ magazine contains the topics of better road sense & traffic management, road accidents and road-safety related one-act plays etc. in each issue of the magazine. The other issues it is concerned with, are- ‘how to control the vehicular pollution in the cities, the importance of time-bound maintenance services of the motor vehicles, the need and importance of good education & training of the drivers in India, safety fittings for a safe passenger motor vehicle, the need of a proper insurance cover for a vehicle, the management of parking lots, the management of public-transport in the cities, the role of toll plazas, traffic police and The Motor Vehicles Act, 1988 & Central Motor Vehicles Rules, 1989 for road safety & traffic management in India. This magazine is spreading the awareness among its readers.

 

प्लास्टिक के कचरे से बनाई जा सकती हैं बेहतर सड़कें

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नागरिकों में यदि अच्‍छी रोड़ सेंस न हो तो फिर सुरक्षा कैसी?

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यातायात नियम अपनाएं, मानव जिंदगी बचाएं

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भविष्‍य के हाईवे होंगे स्‍मार्ट हाईवे ………………….

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