नागरिकों में यदि अच्‍छी रोड़ सेंस न हो तो फिर सुरक्षा कैसी?

नागरिकों में यदि अच्छी रोड सेंस न हो तो फिर सुरक्षा कैसी?

भारत में यातायात की बेहद खराब स्थिति को देखकर लगता है कि यहां अच्छी रोड़-सेंस ही नहीं बल्कि सामान्य नागरिक बोध का भी अभाव है। यहां के अधिकांश लोगों में सड़क पर उनके साथ-साथ चलने वाले अन्य लोगों, जिनमें दूसरे वाहनों के चालक, पैदल चलने वाले तथा साइकिल सवार आदि भी होते हैं, के प्रति कोई सहानुभूति ही नहीं पाई जाती है। इससे लगता है कि वाहन चालक देश की सड़कों पर या तो मरने के लिए या किसी को मारने का लाइसेंस लेकर घूम रहे हैं। देश की व्यस्त सड़कों पर सड़क-लेन बदलने में भी बहुत अराजकता नजर आती है। इसका उस समय पता लगता है, जब धीमी गति का कोई वाहन तेज रफ्तार वाली सड़क-लेन में अचानक ही सामने आ जाता है। हालांकि, ऐसा प्रयास ज्यादातर निजी बसों, ऑटो-रिक्शाओं और टैक्सियों के ड्राइवर करते हैं, परन्तु दूसरे वाहनों के ड्राइवर भी जानबूझकर ऐसे ही यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं। यह देखे बिना कि किसी दूसरी दिशा से कोई वाहन आ रहा है अथवा सडक़ों पर उनके अतिरिक्त भी दूसरी गाड़ियां भी अपनी-अपनी लेन में चल रही हैं, बहुत से ड्राइवर बिना कोई संकेत दिए एक से दूसरी लेन में अचानक ही अपने वाहनों को घुसा देते हैं…….

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