प्लास्टिक के कचरे से बनाई जा सकती हैं बेहतर सड़कें

प्लास्टिक के कचरे से बनाई जा सकती हैं बेहतर सड़कें

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक देश में प्रतिदिन 15,342 टन और साल भर में 56 लाख टन प्लास्टिक का कचरा पैदा हो जाता है। जाहिर है, प्रति दिन 15,342 टन कचरे में से 9,205 टन प्लास्टिक का कचरा ही रिसाइकिल हो रहा है जबकि 6,137 टन कचरा न तो इकट्ठा किया जाता है और न ही वह रिसाइकिल होता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी गत वर्ष इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि हम प्लास्टिक के टाइम बम पर बैठे हुए हैं। वातावरण में मौजूद प्लास्टिक न तो गलता है और न ही इसका प्राकृतिक रूप से विघटन होता है। हमें शहरों से कचरे का संग्रह करके उसे गांवों में डंपिंग करने की भी आदत है, जबकि ग्रामीण लोगों को आज भी ऐसी डंपिंग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से अवगत होने से रोका जा रहा है। प्लास्टिक के कचरे से निजात पाने एवं इसके समुचित निपटान के लिए इसका प्रयोग सड़क निर्माण में भी संभव हो सकता है और ऐसी ही एक प्रौद्योगिकी भारत में विकसित की जा चुकी है। प्लास्टिक के कचरे को सड़क निर्माण में प्रयोग करने की इस प्रौद्योगिकी का आविष्कार तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित त्यागराजर कॉलेज ऑफ इंन्जिनियरिंगमें रसायन विभाग के डीन और विभागाध्यक्ष डॉ. राजगोपालन वासुदेवन ने किया है ……

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